"AWAGARH ESTATE" Etah District, Uttar Pradesh
Awa royals
अवागढ़ का किला
अवागढ़ रियासत आगरा के समीप उत्तर प्रदेश के एटा जिले की एक प्रमुख रियासत रही है, ये रियासत करौली के युदवंशी राजपूत कुल जादौन राजवंश से ताल्लुक रखती है। यहाँ के सबसे प्रसिद्ध राजा बलवंत सिंह जी हुए।
एटा, फ़िरोज़ाबाद व आगरा जिलों की पहचान,
महाराजा बलवंत सिंह जी(अवागढ़)
राजा बलवंत सिंह जी का जन्म सन 1853 में उत्तर प्रदेश के ज़िले एटा की धरती पर अवागढ़ रियासत में हुआ, सन 1890 में वे अवागढ़ रियासत के महाराजा बने, महाराजा साहब का परिचय किसी का मोहताज नहीं है, उनका नाम मात्र ही उनकी पहचान बताने के लिए काफी है, उनके ही राष्ट्रहित और कल्याणकारी कार्यों की वजह से आज अवागढ़ का नाम सम्पूर्ण भारत वर्ष में जाना जाता है। आज कल के लोग किसी पद पर बैठ जाएं तो हमेशा उस पद को पूर्व लगाकर अपने नाम से जोड़ते हैं, किन्तु बलवंत सिंह जी एक ऐसी सख्शियत थी जिन्होंने कभी भी अपने नाम का प्रचार नहीं किया, बलवंत सिंह जी स्वयं पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन बिना पढ़े होने के बावजूद भी उनकी बुद्धि का मुकाबला राज्य में किसी का नहीं था, उन्होंने अपनी इसी बुद्धि से अवागढ़ जागीर को उत्तर प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी रियासत बना दिया जिसकी सीमा एटा,मैनपुरी, आगरा, फ़िरोज़ाबाद, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी तथा मथुरा जिलों तक फैली हुई थी।
अवागढ़ एस्टेट उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्की सम्पूर्ण ऊपरी भारत की सबसे धनी जागीर थी।
According to British authentic records, Raja Awa was the most wealthiest properieters in the whole upper Indian doab.
राजा बलवंत सिंह जी धनी होने के साथ साथ सबसे दानवीर भी थे, उन्हें पढ़े लिखे ना होने का दर्द हमेशा सताता था, इसलिए उन्होंने सन 1885 में आगरा में राजपूत हाई स्कूल की स्थापना की, उसके बाद लगातार उनके प्रयासों से ये कॉलेज बढ़ता गाया, आज ये कॉलेज राजा बलवंत सिंह कॉलेज (आरबीएस कॉलेज आगरा) के नाम से जाना जाता है, ये कॉलेज क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का ही नहीं बल्की एशिया का सबसे बड़ा केम्पस वाला कॉलेज है। राजा साहब ने इस कॉलेज में लाखों की धनराशि दान की थी, इसके बाद इस कॉलेज में उनके वशंजों द्वारा हज़ारों एकड़ जमीन और लाखों रुपया दान दिया गया, इस कॉलेज का संबंध दो दो यूनिवर्सिटी, डॉ भीमराव अमबेडकर आगरा और APJ अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी से है। ये आगरा यूनिवर्सिटी का एक मात्र A+ ग्रेड कॉलेग है। राजा साहब की दानवीर होने की कहानी यहीं खत्म नहीं होती, उन्होंने गुरुदेव यानी कि रवीन्द्र नाथ ठाकुर की शांतिनिकेतन बनाने में बहुत मदद की, आर्थिक सहायता की थी।
उनके द्वारा आरबीएस कॉलेग, शांतिनिकेतन, वाराणसी कालेज जैसे कई कॉलेजे में अपना योगदान दिया।
राजा साहब ने पंडित मदन मोहन मालवीय जी के साथ मिल कर अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़े और हिंदी भाषा को सरकारी भाषा का दर्जा दिलवाया।
राजा साहब ने ही 1897 में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की स्थापना की थी और प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। बलवंत सिंह जी ब्रिटिश काल में एमएलसी रहे थे और उन्हें OBE, CIE की उपाधि प्राप्त थी। आगरा में राजा बलवंत सिंह कॉलेज के अलावा राजा बलवंत सिंह रोड के नाम से एक मार्ग बना हुआ है।
राजा बलवंत सिंह महाविद्यालय, आगरा
लिखने को इतना कुछ है कि खत्म नहीं होगा, इतने किस्से हैं इस दानवीर के की कागज़ और कलम कम पड़ेंगे, उनके कारण आज देश भर में एटा ज़िले को पहचाना जाता है। आरबीएस कॉलेज के माध्यम से आज इस क्षेत्र का चहुमुखी विकास हुआ, हज़ारों लोगों को रोजगार मिला जिसके कारण हज़ारों परिवारों को रोटी मिली। इस कॉलेज से पढ़कर इस क्षेत्र के लोगों ने भारत वर्ष में अपना नाम ऊंचा किया। इस कॉलेज से भारत के पूर्व रक्षा मंत्री व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह ने अपनी शिक्षा पूर्ण की, इसी महाविद्यालय से राज्यसभा सांसद व सपा के महासचिव रामगोपाल यादव भी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। राज्यसभा सांसद, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व मशहूर अभिनेता राज बब्बर ने यहीं से शिक्षा ग्रहण की है। यहाँ तक कि यूजीसी के चैयरमेन डॉ० डीपी सिंह जी भी यहीं से पढ़े हैं। इसके अलावा अनेकों अनेक महान हस्तियाँ इस कॉलेज की देन हैं।
बलवंत सिंह जी के दो सुपत्र थे, राजा सूर्य पाल सिंह जी और मेजर राव कृष्ण पाल सिंह जी। राजा बलवंत सिंह जी के बाद उनके बड़े सुपुत्र सूर्य पाल सिंह जी अवागढ़ रियासत के राजा बने, सूर्य पाल सिंह को अपने पिता की तरह हिंदी भाषा से बहुत लगाव था। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से बगावत कर अपनी रियासत में ब्रिटिश मैनेजर को हटाकर भारतीय मैनेजर को स्थापित कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने अपने राज्य में हिंदी को सरकारी भाषा घोषित कर दिया था। अपने राज्य के अंतर्गत आने वाले बरहन इंटर कॉलेज, आगरा को सूर्यपाल सिंह जी ने अंग्रेजों से मुक्त करा दिया था जिसके कारण उनकी ब्रिटिश हुकूमत से सीधी ठन गई थी। राजा सूर्य पाल सिंह को हिंदी साहित्य से बहुत लगाव था, वे रबीन्द्र नाथ टैगोर के बहुत करीबी थे उन्होंने शांतिनिकेतन में बहुत आर्थिक मदद की थी। राजा साहब के कार्यकाल में उनकी रियासत में जगह जगह पुस्तकालय व साहित्य मेला लगाया जाता था। सूर्य पाल सिंह जी ने अवागढ़ किले के शस्त्रागार को क्रांतिकारियों के लिए खोल दिया था। वे क्रांतिकारियों की अर्थिक मदद किया करते थे। आरबीएस कॉलेज में राजा सूर्यपाल सिंह के नाम से एक पुस्तकालय बना हुआ है, आगरा में सूर्य नगर नामक मोहल्ला भी उन्ही के नाम पर बसा है।
मेजर राव कृष्ण पाल सिंह
प्रथम अध्यक्ष भारतीय जनसंघ
राजा बलवंत सिंह के दूसरे सुपुत्र मेजर राव कृष्ण सिंह जी थे। राव साहब ने सेना में रहकर द्वितीय विश्वयुद्ध में आना महत्वपूर्ण योगदान दिया और मेजर की रैंक तक कार्य करके अवकाश ग्रहण कर लिया। रव साहब ब्रिटिश शासन में 12 वर्ष तक एमएलसी रहे, इसके अलावा वर्तमान समय में भारत की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा की नींव रखने में राव साहब का सबसे अहम योगदान है। राव साहब "जनसंघ" के संस्थापक सदस्य एवम प्रथम अध्यक्ष रहे थे। इसके अलावा वे उत्तर प्रदेश की जलेसर लोकसभा से सांसद भी रह चुके हैं। वे जिला पंचायत एटा के अध्यक्ष भी रहे हैं। आज भी भाजपा व आरएसएस मुख्यालय लखनऊ में राव साहब की तस्वीर ससम्मान से संस्थापक सदस्यों के बीच लगी हुई है।
इतना सब होने के बावजूद उनके परिवार के लोग बड़ी ही सादगी के साथ अपना जीवन जीते हैं, जनता के बीच बड़ी ही सरलता व सहजता से जीवन यापन करते हैं।
अवागढ़ किले में राजकुमार जय प्रताप सिंह "बांसी स्टेट"(Left) युवराज अम्बरीश पाल सिंह 'बाबा साहब' "अवागढ़ स्टेट" (Right)
राजा बलवंत सिंह जी के प्रपौत्र राजा अनिरुद्ध पाल सिंह और उनके पुत्र युवराज अम्बरीश पाल सिंह बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के तहत आरबीएस कॉलेज आगरा के अंतर्गत आने वाले सभी 12 शिक्षण संस्थानों का प्रबंधन करते हैं। इसके अलावा 5 स्टार हेरिटेज होटल चलाते हैं, खेती करवाते और व्यापार करते हैं।
The Palace Belvedere
A 5 star haritage hotel
At Awagarh estate,
Mallital, Nainital
युवराज अम्बरीश पाल सिंह "बाबा साहब" बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के सचिव हैं, इसके अलावा वे अवागढ़ में राजमाता अनन्त कुमारी पब्लिक स्कूल भी चलाते हैं। युवराज अम्बरीश पाल का विवाह पाकिस्तान की मशहूर अमरकोट रियासत के राणा हमीर सिंह सोढ़ा की पुत्री अपराजिता कुमारी से हुआ है। युवराज साहब अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और राजनीति में काफी सक्रिय रहते हैं।
युवराज़ अम्बरीश पाल सिंह "बाबा साहब"
बलवंत सिंह जी के एक और प्रपौत्र रजा जितेंद्र पाल सिंह जी और राजकुमार ऋषि राज सिंह राजस्थान में अपने हज़ारों एकड़ के फार्म्स की देखरेख करते हैं, कई होटल चलाते हैं, नेस्ले को कॉफ़ी ब्रीड की सप्लाई जैसे कई व्यापार करते हैं।
राजकुमार ऋषिराज सिंह "अवागढ़"
राजकुमार ऋषिराज घुड़सवारी के महारथी हैं, वे राजस्थान में अपनी एक हॉर्स सफारी चलाते हैं, वे शूटिंग और गाड़ियों के भी काफी शौकीन हैं, वे क्षत्रिय संगठनों और हिन्दू सभाओं में अक्सर सक्रिय रहते हैं।
अवागढ़ फार्म हाउस, आगरा
एक और वंशज राजा यादवेन्द्र पाल सिंह जी आगरा में कोठी अवागढ़ फार्म्स में रहते हैं। फार्म की देख रेख करते हैं व खेती करवाते हैं और उनके पुत्र कुँ० भूमेन्द्र पाल सिंह दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते हैं।
कोठी अवागढ़ फार्म्स, आगरा
कुँ०भूमेन्द्र कंप्यूटर्स के साथ साथ वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरी के भी शौकीन हैं कई अवार्ड पा चुके हैं और क्षत्रिय महासभा के पदधिकारी हैं।
कुँ० भूमेन्द्र पाल सिंह "अवागढ़"
इसके अलावा राजा देवेन्द्र पाल यदुवंशी उदयपुर में व्यापार करते हैं और राजकुमार राघवेंद्र पाल सिंह अभी अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
कुँ० राघवेंद्र पाल सिंह "अवागढ़"
उनके सारे वंशज ईमानदारी, सादगी और शाही तरीके के साथ अपना जीवन जीते हैं और जनता के सुख दुख में हमेशा मदद के लिए ततपर रहते हैं।
किला अवागढ़
अवागढ़ राज परिवार आज भी "अवागढ़ किला" (Fort Awagarh) को अपने निजी आवास के रूप में प्रयोग करता है।
अवागढ़ का किला उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बडा किला है और सबसे बड़ा निजी आवास भी है।
-ऋषभ चौहान (मनु)
Awa royals
अवागढ़ का किला
अवागढ़ रियासत आगरा के समीप उत्तर प्रदेश के एटा जिले की एक प्रमुख रियासत रही है, ये रियासत करौली के युदवंशी राजपूत कुल जादौन राजवंश से ताल्लुक रखती है। यहाँ के सबसे प्रसिद्ध राजा बलवंत सिंह जी हुए।
एटा, फ़िरोज़ाबाद व आगरा जिलों की पहचान,
महाराजा बलवंत सिंह जी(अवागढ़)
राजा बलवंत सिंह जी का जन्म सन 1853 में उत्तर प्रदेश के ज़िले एटा की धरती पर अवागढ़ रियासत में हुआ, सन 1890 में वे अवागढ़ रियासत के महाराजा बने, महाराजा साहब का परिचय किसी का मोहताज नहीं है, उनका नाम मात्र ही उनकी पहचान बताने के लिए काफी है, उनके ही राष्ट्रहित और कल्याणकारी कार्यों की वजह से आज अवागढ़ का नाम सम्पूर्ण भारत वर्ष में जाना जाता है। आज कल के लोग किसी पद पर बैठ जाएं तो हमेशा उस पद को पूर्व लगाकर अपने नाम से जोड़ते हैं, किन्तु बलवंत सिंह जी एक ऐसी सख्शियत थी जिन्होंने कभी भी अपने नाम का प्रचार नहीं किया, बलवंत सिंह जी स्वयं पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन बिना पढ़े होने के बावजूद भी उनकी बुद्धि का मुकाबला राज्य में किसी का नहीं था, उन्होंने अपनी इसी बुद्धि से अवागढ़ जागीर को उत्तर प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी रियासत बना दिया जिसकी सीमा एटा,मैनपुरी, आगरा, फ़िरोज़ाबाद, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी तथा मथुरा जिलों तक फैली हुई थी।
अवागढ़ एस्टेट उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्की सम्पूर्ण ऊपरी भारत की सबसे धनी जागीर थी।
According to British authentic records, Raja Awa was the most wealthiest properieters in the whole upper Indian doab.
राजा बलवंत सिंह जी धनी होने के साथ साथ सबसे दानवीर भी थे, उन्हें पढ़े लिखे ना होने का दर्द हमेशा सताता था, इसलिए उन्होंने सन 1885 में आगरा में राजपूत हाई स्कूल की स्थापना की, उसके बाद लगातार उनके प्रयासों से ये कॉलेज बढ़ता गाया, आज ये कॉलेज राजा बलवंत सिंह कॉलेज (आरबीएस कॉलेज आगरा) के नाम से जाना जाता है, ये कॉलेज क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का ही नहीं बल्की एशिया का सबसे बड़ा केम्पस वाला कॉलेज है। राजा साहब ने इस कॉलेज में लाखों की धनराशि दान की थी, इसके बाद इस कॉलेज में उनके वशंजों द्वारा हज़ारों एकड़ जमीन और लाखों रुपया दान दिया गया, इस कॉलेज का संबंध दो दो यूनिवर्सिटी, डॉ भीमराव अमबेडकर आगरा और APJ अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी से है। ये आगरा यूनिवर्सिटी का एक मात्र A+ ग्रेड कॉलेग है। राजा साहब की दानवीर होने की कहानी यहीं खत्म नहीं होती, उन्होंने गुरुदेव यानी कि रवीन्द्र नाथ ठाकुर की शांतिनिकेतन बनाने में बहुत मदद की, आर्थिक सहायता की थी।
उनके द्वारा आरबीएस कॉलेग, शांतिनिकेतन, वाराणसी कालेज जैसे कई कॉलेजे में अपना योगदान दिया।
राजा साहब ने पंडित मदन मोहन मालवीय जी के साथ मिल कर अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़े और हिंदी भाषा को सरकारी भाषा का दर्जा दिलवाया।
राजा साहब ने ही 1897 में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की स्थापना की थी और प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। बलवंत सिंह जी ब्रिटिश काल में एमएलसी रहे थे और उन्हें OBE, CIE की उपाधि प्राप्त थी। आगरा में राजा बलवंत सिंह कॉलेज के अलावा राजा बलवंत सिंह रोड के नाम से एक मार्ग बना हुआ है।
राजा बलवंत सिंह महाविद्यालय, आगरा
लिखने को इतना कुछ है कि खत्म नहीं होगा, इतने किस्से हैं इस दानवीर के की कागज़ और कलम कम पड़ेंगे, उनके कारण आज देश भर में एटा ज़िले को पहचाना जाता है। आरबीएस कॉलेज के माध्यम से आज इस क्षेत्र का चहुमुखी विकास हुआ, हज़ारों लोगों को रोजगार मिला जिसके कारण हज़ारों परिवारों को रोटी मिली। इस कॉलेज से पढ़कर इस क्षेत्र के लोगों ने भारत वर्ष में अपना नाम ऊंचा किया। इस कॉलेज से भारत के पूर्व रक्षा मंत्री व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह ने अपनी शिक्षा पूर्ण की, इसी महाविद्यालय से राज्यसभा सांसद व सपा के महासचिव रामगोपाल यादव भी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। राज्यसभा सांसद, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व मशहूर अभिनेता राज बब्बर ने यहीं से शिक्षा ग्रहण की है। यहाँ तक कि यूजीसी के चैयरमेन डॉ० डीपी सिंह जी भी यहीं से पढ़े हैं। इसके अलावा अनेकों अनेक महान हस्तियाँ इस कॉलेज की देन हैं।
बलवंत सिंह जी के दो सुपत्र थे, राजा सूर्य पाल सिंह जी और मेजर राव कृष्ण पाल सिंह जी। राजा बलवंत सिंह जी के बाद उनके बड़े सुपुत्र सूर्य पाल सिंह जी अवागढ़ रियासत के राजा बने, सूर्य पाल सिंह को अपने पिता की तरह हिंदी भाषा से बहुत लगाव था। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से बगावत कर अपनी रियासत में ब्रिटिश मैनेजर को हटाकर भारतीय मैनेजर को स्थापित कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने अपने राज्य में हिंदी को सरकारी भाषा घोषित कर दिया था। अपने राज्य के अंतर्गत आने वाले बरहन इंटर कॉलेज, आगरा को सूर्यपाल सिंह जी ने अंग्रेजों से मुक्त करा दिया था जिसके कारण उनकी ब्रिटिश हुकूमत से सीधी ठन गई थी। राजा सूर्य पाल सिंह को हिंदी साहित्य से बहुत लगाव था, वे रबीन्द्र नाथ टैगोर के बहुत करीबी थे उन्होंने शांतिनिकेतन में बहुत आर्थिक मदद की थी। राजा साहब के कार्यकाल में उनकी रियासत में जगह जगह पुस्तकालय व साहित्य मेला लगाया जाता था। सूर्य पाल सिंह जी ने अवागढ़ किले के शस्त्रागार को क्रांतिकारियों के लिए खोल दिया था। वे क्रांतिकारियों की अर्थिक मदद किया करते थे। आरबीएस कॉलेज में राजा सूर्यपाल सिंह के नाम से एक पुस्तकालय बना हुआ है, आगरा में सूर्य नगर नामक मोहल्ला भी उन्ही के नाम पर बसा है।
मेजर राव कृष्ण पाल सिंह
प्रथम अध्यक्ष भारतीय जनसंघ
आरएसएस कार्यालय लखनऊ में लगी हुई मेजर राव कृष्ण पाल सिंह जी की तस्वीर
इतना सब होने के बावजूद उनके परिवार के लोग बड़ी ही सादगी के साथ अपना जीवन जीते हैं, जनता के बीच बड़ी ही सरलता व सहजता से जीवन यापन करते हैं।
अवागढ़ किले में राजकुमार जय प्रताप सिंह "बांसी स्टेट"(Left) युवराज अम्बरीश पाल सिंह 'बाबा साहब' "अवागढ़ स्टेट" (Right)
राजा बलवंत सिंह जी के प्रपौत्र राजा अनिरुद्ध पाल सिंह और उनके पुत्र युवराज अम्बरीश पाल सिंह बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के तहत आरबीएस कॉलेज आगरा के अंतर्गत आने वाले सभी 12 शिक्षण संस्थानों का प्रबंधन करते हैं। इसके अलावा 5 स्टार हेरिटेज होटल चलाते हैं, खेती करवाते और व्यापार करते हैं।
The Palace Belvedere
A 5 star haritage hotel
At Awagarh estate,
Mallital, Nainital
युवराज अम्बरीश पाल सिंह "बाबा साहब" बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के सचिव हैं, इसके अलावा वे अवागढ़ में राजमाता अनन्त कुमारी पब्लिक स्कूल भी चलाते हैं। युवराज अम्बरीश पाल का विवाह पाकिस्तान की मशहूर अमरकोट रियासत के राणा हमीर सिंह सोढ़ा की पुत्री अपराजिता कुमारी से हुआ है। युवराज साहब अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और राजनीति में काफी सक्रिय रहते हैं।
युवराज़ अम्बरीश पाल सिंह "बाबा साहब"
बलवंत सिंह जी के एक और प्रपौत्र रजा जितेंद्र पाल सिंह जी और राजकुमार ऋषि राज सिंह राजस्थान में अपने हज़ारों एकड़ के फार्म्स की देखरेख करते हैं, कई होटल चलाते हैं, नेस्ले को कॉफ़ी ब्रीड की सप्लाई जैसे कई व्यापार करते हैं।
राजकुमार ऋषिराज सिंह "अवागढ़"
राजकुमार ऋषिराज घुड़सवारी के महारथी हैं, वे राजस्थान में अपनी एक हॉर्स सफारी चलाते हैं, वे शूटिंग और गाड़ियों के भी काफी शौकीन हैं, वे क्षत्रिय संगठनों और हिन्दू सभाओं में अक्सर सक्रिय रहते हैं।
राजकुमार ऋषिराज सिंह व उनके मित्र अनिरुद्ध प्रताप
अवागढ़ किले पर अवागढ़ फार्म हाउस, आगरा
एक और वंशज राजा यादवेन्द्र पाल सिंह जी आगरा में कोठी अवागढ़ फार्म्स में रहते हैं। फार्म की देख रेख करते हैं व खेती करवाते हैं और उनके पुत्र कुँ० भूमेन्द्र पाल सिंह दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते हैं।
कोठी अवागढ़ फार्म्स, आगरा
कुँ०भूमेन्द्र कंप्यूटर्स के साथ साथ वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरी के भी शौकीन हैं कई अवार्ड पा चुके हैं और क्षत्रिय महासभा के पदधिकारी हैं।
कुँ० भूमेन्द्र पाल सिंह "अवागढ़"
इसके अलावा राजा देवेन्द्र पाल यदुवंशी उदयपुर में व्यापार करते हैं और राजकुमार राघवेंद्र पाल सिंह अभी अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
कुँ० राघवेंद्र पाल सिंह "अवागढ़"
उनके सारे वंशज ईमानदारी, सादगी और शाही तरीके के साथ अपना जीवन जीते हैं और जनता के सुख दुख में हमेशा मदद के लिए ततपर रहते हैं।
किला अवागढ़
अवागढ़ राज परिवार आज भी "अवागढ़ किला" (Fort Awagarh) को अपने निजी आवास के रूप में प्रयोग करता है।
अवागढ़ का किला उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे बडा किला है और सबसे बड़ा निजी आवास भी है।
Beautiful collection of pictures of the Awagarh family. And a well written article. Keep up the good work!
ReplyDeleteThank you Rajkumar sahab
DeleteAwagarh is
ReplyDeletemy birth place
That is Yaduvanshi king is modified vg
ReplyDeletePride of awagarh
ReplyDeleteजो लाखों निज धर्म को तेहि राखे सरकार।
ReplyDeleteजो राखें निज धर्म को तेहि राखे सरकार।
Deleteजो राखें निज धर्म को तेहि राखे सरकार।
Deleteयह🦁 किला🦁 धरती🐴 पर स्वर्ग🌄 👌👌है । शान है ⚔️राजपुताना⚔️ की
ReplyDeleteजय ⚔️राजपुताना⚔️ जय भवानी✍️🗡️ 🙏🏻🙏🏻...🗡️
यह🦁 किला🦁 धरती🐴 पर स्वर्ग🌄 👌👌है । शान है ⚔️राजपुताना⚔️ की
ReplyDeleteजय ⚔️राजपुताना⚔️ जय भवानी✍️🗡️ 🙏🏻🙏🏻...🗡️
I proud of my kshatriya ekta
ReplyDeleteI am Also From Awagarh
ReplyDeleteMy birthplace is Awagarh
I am feeling Proud When Seeing Glories Of Awagarh
अवागढ रियायत ने प्रारम्भ से ही समाज को किसी न किसी रूप में दिया है
ReplyDeleteआज भी हजारों नौजवान देश दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं
गर्व है अवागढ रियायत पर|
ReplyDeleteAvagarh kila rajputo ki shaan hai Jai maa bhawani 🙏 🙏 🙏
ReplyDeleteham ko bhi mharaj ke jivan sheli se prerna milti he
ReplyDeleteJai ho baba sahab ki
ReplyDeleteWest of luck raj gharanaa
ReplyDeleterajputana adamay shakti
ReplyDeleteआवागढ़ में सरगुजा स्टेट @Surguja State छत्तीसगढ़ के महाराजा बहादुर रघुनाथ शरण सिंहदेव (1861-1917) की पुत्री महाराज कुमारी बालेश्वरी कुमारी (जन्म-1898, चैत्र शुक्लपक्ष रात 190 बजे, सम्वत1954) का सन 1913 में राणा सूरजपाल सिंह जी से विवाह हुआ था.
ReplyDelete~गोविन्द शर्मा +919424251578.
Really ,we feel proud for the work done in educational field by the Raja Family.
ReplyDeleteजय राजपुताना
ReplyDeleteSlotyro Casino, Malta - Mapyro
ReplyDeleteFind 광양 출장안마 Slotyro Casino, Malta 바카라 자판기 사이트 location, revenue, employees 울산광역 출장마사지 by 시흥 출장샵 department 김해 출장안마 and